मानस में बिखरे शव्दों को समेटने की कोशिस और दायित्वों के साथ रेत के घरौंदे में उसे साकार देखने का दिवास्वप्न .... इन सब के साथ बटकी में बासी और चुटकी में नमक से संतुष्ट एक छत्तीसगढिया

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