10 दिसम्बर, 1944 को चेन्नई में जन्मी चित्रा मुद्गल वर्तमान हिन्दी साहित्य में एक सम्मानित नाम हैं। मुंबई से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर चित्रा जी छात्र जीवन से ही ट्रेड यूनियन से जुड़ कर शोषितों के लिये कार्यरत रही हैं।
अमृतलाल नागर और प्रेमचन्द से प्रभावित चित्रा जी को लिखने की प्रेरणा मैक्सिम गोर्की के प्रसिद्ध उपन्यास "माँ" को पढ़ने के बाद मिली। अब तक वे कई लघुकथायें और चार उपन्यास - "आवाँ", "गिलिगद्दू", "एक जमीन अपनी" व "माधवी कन्नगी" लिख चुकीं हैं। इसके अतिरिक्त उनके बाल-कथाओं के पाँच संग्रह भी प्रकाशित हैं।
चित्रा मुद्गल को विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया है जिनमें "आवाँ" के लिये २००० का इंदु शर्मा कथा सम्मान तथा २००१-०२ का उत्तरप्रदेश साहित्य भूषण प्रमुख हैं।
आप समाज के पिछड़े वर्गों को जागृत करने के लिये एक सामालिक संस्था "समन्वय" भी चला रही हैं। वे "स्त्री-शक्ति" तथा महिला-मंच से भी जुड़ी हुई हैं।
अमृतलाल नागर और प्रेमचन्द से प्रभावित चित्रा जी को लिखने की प्रेरणा मैक्सिम गोर्की के प्रसिद्ध उपन्यास "माँ" को पढ़ने के बाद मिली। अब तक वे कई लघुकथायें और चार उपन्यास - "आवाँ", "गिलिगद्दू", "एक जमीन अपनी" व "माधवी कन्नगी" लिख चुकीं हैं। इसके अतिरिक्त उनके बाल-कथाओं के पाँच संग्रह भी प्रकाशित हैं।
चित्रा मुद्गल को विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया है जिनमें "आवाँ" के लिये २००० का इंदु शर्मा कथा सम्मान तथा २००१-०२ का उत्तरप्रदेश साहित्य भूषण प्रमुख हैं।
आप समाज के पिछड़े वर्गों को जागृत करने के लिये एक सामालिक संस्था "समन्वय" भी चला रही हैं। वे "स्त्री-शक्ति" तथा महिला-मंच से भी जुड़ी हुई हैं।