सुमन बाजपेयी का जन्म दिल्ली में हुआ। यहीं एम.ए. हिन्दी आनर्स व पत्रकारिता का अध्ययन किया।
१२ साल की उम्र से ही कवितायें लिखना आरंभ कर दिया था। कालेज में पढ़ते हुये ही इनकी कहानी "अपना घर" युववाणी से प्रसारित हुई। कैरियर का आरंभ ’चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट’ से किया तथा यहीं से बाल-लेखन की भी शुरुआत हुई। तत्पश्चात ’जागरण सखी’, ’मेरी संगिनी’ और ’फोर्थ डी वुमन’ नामक पत्रिकाओं में काम किया।
१२ साल की उम्र से ही कवितायें लिखना आरंभ कर दिया था। कालेज में पढ़ते हुये ही इनकी कहानी "अपना घर" युववाणी से प्रसारित हुई। कैरियर का आरंभ ’चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट’ से किया तथा यहीं से बाल-लेखन की भी शुरुआत हुई। तत्पश्चात ’जागरण सखी’, ’मेरी संगिनी’ और ’फोर्थ डी वुमन’ नामक पत्रिकाओं में काम किया।
पिछले २७ वर्षों से कहानी, कविता व महिला विषयों तथा बाल-लेखन में संलग्न। ’खाली कलश’, ’ठोस धरती का विश्वास’ और ’अगिनदान’ नामक कहानी-संग्रहों समेत ३०० से अधिक कहानियाँ व २०० से अधिक लेख प्रकाशित। २५ अंग्रेजी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद भी कर चुकीं हैं। पैरेंटिंग पर दो किताबें शीघ्र प्रकाश्य हैं।